कभी हर आंगन में होता था ‘हमारा बजाज’,आज बन गया 10 लाख करोड़ की वैल्यू वाला 5 वां सबसे बड़ा ग्रुप

शेयर बाजार की तेजी ने कई कंपनियों और उसके निवेशकों को मालामाल कर दिया है. बजाज ग्रुप का टोटल मार्केट कैप बढ़कर 10 लाख करोड़ रुपए के पार पहुंच गया है. 70 के दशक में इस ग्रुप के स्कूटर ने इसे घर-घर में पहचान दिलाई थी. आज ये फाइनेंस सेक्टर का बेताज बादशाह है. आखिर कैसा रहा ये पूरा सफर..

देश के 5 अहम राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के परिणाम आ चुके हैं, इनमें से 3 प्रमुख राज्यों में बीजेपी की प्रचंड जीत से शेयर मार्केट भी झूम उठा है. शेयर बाजार इलेक्शन रिजल्ट के दिन से ही मार्केट में तेजी देखी जा रही है. मार्केट के इस तेजी का कई कंपनियों को फायदा हुआ है और बजाज ग्रुप का मार्केट कैप 10 लाख करोड़ रुपए को पार कर गया है. बजाज ग्रुप भारत का 5 वां ऐसा ग्रुप बन गया है, जिसका मार्केट कैप 10 लाख करोड़ रुपए से अधिक है.

बजाज से पहले इस मुकाम को सिर्फ 4 बिजनेस ग्रुप ही हासिल कर सके हैं. इनमें HDFC,टाटा, रिलायंस, और अडानी ग्रुप है. जिनका मार्केट कैप क्रमश: 31.01 लाख करोड़, 18.25 लाख करोड़, 14.29 लाख करोड़ और 11.95 लाख करोड़ रुपए है. है.

कभी ऑटो सेक्टर में हुआ करता था ग्रुप का जलवा

बजाज ग्रुप की स्थापना 1926 में राहुल बजाज के दादा जमनालाल बजाज ने की थी. राहुल बजाज को 1968 में ग्रुप की तरफ से एक बड़ी जिम्मेदारी दी गई. उन्हें बजाज ऑटो का सीईओ बनाया गया. 1972 में वह बजाज ऑटो के MD भी बने. यह वो दौर था जब बजाज के स्कूटर का जलवा हुआ करता था. घर-घर में लोग बाजाज के स्कूटर को जानने लगे थे. कहा जाता है कि एक समय ऐसा भी आया जब बजाज के स्कूटर की डिलीवरी डेट के हिसाब से लोग अपनी शादियों के मुहूर्त तय करने लगे.

1990 के दशक में लाइसेंस राज और आर्थिक उदारीकरण ने कंपनी का जोरदार फायदा कराया था, लेकिन धीरे-धीरे कंपनी ऑटो सेक्टर में पिछड़ती चली गई. हालांकि कंपनी की ग्रोथ में गिरावट नहीं देखने को मिली, लेकिन जो ऑटो कंपनी का जलवा 70-80 के दशक में हुआ करता था. उसमें कमी आई. यह मार्केट में दूसरी कंपनियों के नई टेक्नोलॉजी के साथ एंट्री लेने के चलते हुआ. आज बजाज फिनजर्व और बजाज फाइनेंस दोनों ग्रुप को सबसे अधिक रिटर्न देने वाले कंपनी हैं.

बजाज फिनजर्व और बजाज फाइनेंस में क्या है अंतर?

बजाज फिनजर्व और बजाज फाइनेंस के बीच अक्सर लोग कंफ्यूज हो जाते हैं. बता दें कि दोनों के नाम में फाइनेंस जुड़ा जरूर है, लेकिन दोनों कंपनी एक ही काम नहीं करती है. फिनजर्व एक नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल सर्विसेज कंपनी है, जो वेल्थ मैनेजमेंट और इंश्योरेंस, लेंडिंग और एसेट मैनेजमेंट का काम करती है. यह कंपनी फाइनेंस के अलावा पवन उर्जा पर भी काम करती है. ग्रुप के पास बजाज फाइनेंस में 52.49% हिस्सेदारी है. इसी के पास म्यूचुअल फंड का भी काम है.

बजाज आलियांज लाइफ इंश्योरेंस और जनरल इंश्योरेंस का नाम जो आप सुनते हैं, वह इसी कंपनी के अंतर्गत आता है. बता दें कि बजाज फाइनेंस कंपनी फिनजर्व की सहायक कंपनी है. इसकी शुरुआत 1987 में बजाज ऑटो फाइनेंस लिमिटेड के रूप में हुई थी. तब इसका मुख्य काम टू-व्हीलर और थ्री-व्हीलर खरीदने के लिए लोन प्रोवाइड करने का था. 2010 में इसका नाम बदलकर बजाज फाइनेंस लिमिटेड कर दिया गया. आज इसे हाउसिंग फाइनेंस कंपनी के तौर पर भी जाना जाता है. अब यह कॉर्पोरेट लोन भी प्रोवाइड कर रही है.

बजाज ग्रुप के पास कितनी कंपनियां?

बजाज ग्रुप की 5 कंपनियां मार्केट में लिस्टेड हैं. ग्रुप की सबसे मूल्यवान कंपनी बजाज फाइनेंस है. इसके शेयर प्राइस में 2 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. दूसरी सबसे बड़ी कंपनी बजाज फिनजर्व है जिसके शेयर 0.6 फीसदी चढ़े हैं. बजाज ऑटो में 2.5 फीसदी का उछाल आया है. समूह की होल्डिंग कंपनी बजाज होल्डिंग्स एंड इन्वेस्टमेंट का शेयर लगभग 7 प्रतिशत चढ़ गया है. यह आंकड़ा आज सुबह मार्केट खुलने के वक्त तक का है. जिन निवेशकों ने बजाज फिनजर्व कंपनी में 5 साल पहले पैसा लगाया था उसे 45 फीसदी का रिटर्न मिल चुका है.

यही हाल बजाज फाइनेंस का भी है. उसके शेयर 5 साल में 196% का रिटर्न दे चुके हैं. बजाज ऑटो ने 120 पर्सेंट का रिटर्न पिछले 5 साल में अपने निवेशकों को दिया है. बजाज होल्डिंग्स ने 158% मुनाफा अपने निवेशकों को कराया है. पिछले पांच साल के रिटर्न की बात करें तो बजाज फाइनेंस ने सबसे अधिक कमाई कराई है. कंपनी की रैपिड ग्रोथ में सबसे बड़ी भूमिका भी इसी कंपनी की है.

बजाज ने भारत का पहला ऑटो रिक्शा विकसित किया था. 70 के दशक में राहुल बजाज के नेतृत्व कंपनी ने अपना रुख बदला और बजाज ने 2-व्हीलर सेगमेंट में एंट्री करी. कंपनी के स्कूटर और विज्ञापन ‘हमारा बजाज’ ने उसे घर-घर में पहचान दिलाई.

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